रक्षा बंधन पर्व पर, बहना आई गाँव।
हाथों में मेहँदी रची, और महावर पाँव।
और महावर पाँव, चूड़ियों सजी कलाई।
नैहर का लख नेह, भाग्य निज पर इतराई।
बाँध रेशमी डोर, किया भाई का वंदन।
बहना आई गाँव, मनाने रक्षा बंधन।
आता सावन में सखी, राखी का त्यौहार।
हर धागे से झाँकता, भ्रात-बहन का प्यार।
भ्रात-बहन का प्यार, बाँध बहना खुश होती
रेशम की यह डोर, कीमती सबसे मोती।
बचपन का वो पृष्ठ, पुराना फिर खुल जाता
हाथों में मेहँदी रची, और महावर पाँव।
और महावर पाँव, चूड़ियों सजी कलाई।
नैहर का लख नेह, भाग्य निज पर इतराई।
बाँध रेशमी डोर, किया भाई का वंदन।
बहना आई गाँव, मनाने रक्षा बंधन।
आता सावन में सखी, राखी का त्यौहार।
हर धागे से झाँकता, भ्रात-बहन का प्यार।
भ्रात-बहन का प्यार, बाँध बहना खुश होती
रेशम की यह डोर, कीमती सबसे मोती।
बचपन का वो पृष्ठ, पुराना फिर खुल जाता
राखी का त्यौहार, सखी सावन में आता।
लहँगा चुन्नी ओढ़कर बहना है तैयार
प्यारे भाई के लिए, लाई है उपहार।
लाई है उपहार, संग रेशम का धागा।
मिला बहन का प्यार, भाग्य भाई का जागा।
फूलों सी मुस्कान, लिए नन्हीं सी मुन्नी
मना रही है पर्व, पहनकर लहँगा चुन्नी।
रीत निभाना प्रीत की, भैया मेरे चाँद।
बहन करे शुभ कामना, रेशम डोरी बाँध।
रेशम डोरी बाँध, लगाए माथे टीका
बिन राखी त्यौहार, सकल सावन है फीका।
कहे बहन हे भ्रात, मुझे तुम भूल न जाना
सावन में हर साल, बुलाकर रीत निभाना।
प्यारे भाई के लिए, लाई है उपहार।
लाई है उपहार, संग रेशम का धागा।
मिला बहन का प्यार, भाग्य भाई का जागा।
फूलों सी मुस्कान, लिए नन्हीं सी मुन्नी
मना रही है पर्व, पहनकर लहँगा चुन्नी।
रीत निभाना प्रीत की, भैया मेरे चाँद।
बहन करे शुभ कामना, रेशम डोरी बाँध।
रेशम डोरी बाँध, लगाए माथे टीका
बिन राखी त्यौहार, सकल सावन है फीका।
कहे बहन हे भ्रात, मुझे तुम भूल न जाना
सावन में हर साल, बुलाकर रीत निभाना।
-कल्पना रामानी
3 comments:
रक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ
रक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ
बहोत सुन्दर प्रेम पुर्ण रचना है।मै क्षमा चाहता हूं की मै इसे शेयर करने की उदःडता कर रहा हूं ।
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