Monday 10 June 2013

चली सुहानी सैर को, लो कागज़ की नाव


बच्चों ने मिलकर  किया, बूँदों का घेराव।



चली सुहानी सैर को, लो कागज़ की नाव।
लो कागज की नाव, संग गूँजी किलकारी
जल थल हुए समान, खिल उठी धरती सारी।
मौसम का उल्लास, छा गया सबके दिल पर
बूँदों का घेराव, किया बच्चों ने मिलकर।
 
पहली बारिश दे गई, तन मन को आनंद।
चाय पकौड़ी साथ में, शाम हो गई छंद।
शाम हो गई छंद, गीत रातों ने गाया।
बूँदों ने भरपूर, मेघ मल्हार सुनाया।
सूरज अंतर्ध्यान, फिज़ाएँ हुईं रुपहली
तन मन को आनंद दे गई बारिश पहली।


-कल्पना रामानी

1 comment:

Unknown said...

बच्चों ने मिलकर किया, बूंदों का घेराव/चली सुहानी सैर को, लो कागज़ की नाव...... बहुत खूब ........ बहुत बहुत बधाई कल्पना जी

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

जंगल में मंगल

जंगल में मंगल

प्रेम की झील

प्रेम की झील