शीतल रानी मैं तुम्हें, दूँगी अपना वोट।
जो अभाव से ग्रस्त हैं, करो न उनपर चोट।
करो न उनपर चोट, बड़े शहरों में जाओ
जो साधन सम्पन्न, उन्हीं से तुम बतियाओ।
दुखियों का दो साथ, करो मत आनाकानी
दूँगी अपना वोट, तुम्हें मैं शीतल रानी।
वहाँ न जाना शीत तुम, दीन बसे जिस ओर।
चिथड़ों में लिपटे हुए, काट रहे हों भोर।
काट रहे हों भोर, न कोई छप्पर सिर पर
फिरते नंगे पाँव, पेट ही भरना दूभर।
बनना उनकी मीत, न उनको कभी सताना
दीन बसे जिस ओर, शीत तुम वहाँ न जाना।
-कल्पना रामानी
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