Tuesday 1 January 2013

नया वर्ष, ईश्वर करे...




दिशा दिशा में धूम है, गूँज रहा संगीत।
नया वर्ष, ईश्वर करे, बने सभी का मीत।
बने सभी का मीत, प्रीत के अंकुर फूटें।
खुशहाली के पेड़, उगें फल मिलकर लूटें।
आएगी नव भोर, विश्व की, अर्ध निशा में
गूँज रहा संगीत, धूम है दिशा दिशा में।

शहरों से की प्रार्थना, गाँवों ने इस बार।
नए बरस को बंधुओं, भेजो हमरे द्वार।
भेजो हमरे द्वार, तरक्की हम भी चाहें।
सूखे रहें न खेत, स्वर्ण सी फसल उगाएँ।
बुत बनकर चुप ओढ़, खड़े हो क्यों बहरों से?
गाँवों ने इस बार प्रार्थना की शहरों से।


-कल्पना रामानी

No comments:

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

जंगल में मंगल

जंगल में मंगल

प्रेम की झील

प्रेम की झील