सीमा रक्षा हित खड़े, सीना तान जवान।
अपने अपने देश का, इनको बड़ा गुमान।
इनको बड़ा गुमान, सदा चौकन्ने रहते
लिए हथेली जान, कष्ट सारे ये सहते।
करे न दुश्मन घात, नहीं हो भंग सुरक्षा
करते वीर जवान, इसी हित सीमा रक्षा।
प्रहरी ये निज देश के, सच्चे वीर सपूत।
नस-नस में इनकी भरा, जज़्बा-जोश अकूत।
जज़्बा-जोश अकूत, अखंडित इनमें देखा।
किसकी भला मजाल, कि लाँघे लक्ष्मण रेखा।
सीमा पर सिर तान, चौकसी करते गहरी
सच्चे वीर सपूत, देश के हैं ये प्रहरी।
--कल्पना रामानी
1 comment:
लाजवाब !
लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
Post a Comment