Wednesday 26 March 2014

सीमा रक्षा हित खड़े सीना तान जवान



सीमा रक्षा हित खड़े, सीना तान जवान।
अपने अपने देश का, इनको बड़ा गुमान।
इनको बड़ा गुमान, सदा चौकन्ने रहते
लिए हथेली जान, कष्ट सारे ये सहते।
करे न दुश्मन घात, नहीं हो भंग सुरक्षा
करते वीर जवान, इसी हित सीमा रक्षा।

प्रहरी ये निज देश के, सच्चे वीर सपूत।
नस-नस में इनकी भरा, जज़्बा-जोश अकूत।
जज़्बा-जोश अकूत, अखंडित इनमें देखा।
किसकी भला मजाल, कि लाँघे लक्ष्मण रेखा।
सीमा पर सिर तान, चौकसी करते गहरी
सच्चे वीर सपूत, देश के हैं ये प्रहरी।

--कल्पना रामानी   

1 comment:

कालीपद "प्रसाद" said...

लाजवाब !
लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

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