Tuesday 23 October 2012

बीते दिन बरसात के

 




















बीते दिन बरसात के आया फिर मधुमास।
पात पात के गात पर, दिखा नवल उल्लास।
दिखा नवल उल्लास, सुहाना मौसम आया
मधुर मधुर अहसास, शीत का मन को भाया।
सजल हुए सब स्रोत, कल तलक जो थे रीते
आया फिर मधुमास, दिवस बारिश के बीते।
 
अमृत वर्षा कर चले, बादल अपने धाम।
हरियाली लिखकर गए, धरती माँ के नाम।
धरती माँ के नाम, पल्लवित होगा वैभव
दीप पर्व के साथ, मनेगा मंगल उत्सव।
खिले खेत-खलिहान, और जन-जन मन हर्षा
बादल अपने धाम, चले,कर अमृत वर्षा।


-कल्पना रामानी

No comments:

पुनः पधारिए


आप अपना अमूल्य समय देकर मेरे ब्लॉग पर आए यह मेरे लिए हर्षकारक है। मेरी रचना पसंद आने पर अगर आप दो शब्द टिप्पणी स्वरूप लिखेंगे तो अपने सद मित्रों को मन से जुड़ा हुआ महसूस करूँगी और आपकी उपस्थिति का आभास हमेशा मुझे ऊर्जावान बनाए रखेगा।

धन्यवाद सहित

--कल्पना रामानी

जंगल में मंगल

जंगल में मंगल

प्रेम की झील

प्रेम की झील