बीते दिन बरसात के आया फिर मधुमास।
पात पात के गात पर, दिखा नवल उल्लास।
दिखा नवल उल्लास, सुहाना मौसम आया
मधुर मधुर अहसास, शीत का मन को भाया।
सजल हुए सब स्रोत, कल तलक जो थे रीते
आया फिर मधुमास, दिवस बारिश के बीते।
अमृत वर्षा कर चले, बादल अपने धाम।
हरियाली लिखकर गए, धरती माँ के नाम।
धरती माँ के नाम, पल्लवित होगा वैभव
दीप पर्व के साथ, मनेगा मंगल उत्सव।
खिले खेत-खलिहान, और जन-जन मन हर्षा
बादल अपने धाम, चले,कर अमृत वर्षा।
-कल्पना रामानी
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